लेखनी कहानी -18-Sep-2022 हसीन ऋतु
गजल : हसीन ऋतु
हसीन रुत आज फिर दिल दीवाना कर गई
तेरी आंखों की गुस्ताखियां पैमाना भर गई
बादल भी नशे में मदहोश होकर झूम रहा
महकती शाम मौसम आशिकाना कर गई
कली कली पर भंवरों का पहरा सा क्यों है
शायद कोई शमा किसी परवाने पर मर गई
फिजां में गूंजने लगे हैं मुहब्बत के अफसाने
उसकी कातिल हसीं दिल शायराना कर गई
कंगन की खनक से बेचैन है कमबख्त दिल
आंखों ही आंखों से वो भारी जुर्मना कर गई
उसकी अदाओं की जादूगरी पे हम मर गए
एक ही पल में "हरि" दुनिया से बेगाना कर गई
श्री हरि
18.9.22
आँचल सोनी 'हिया'
19-Sep-2022 09:28 PM
Achha likha hai 💐
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Raziya bano
18-Sep-2022 08:32 PM
Nice
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
18-Sep-2022 06:49 PM
Wahhhh बहुत ही खूबसूरत रचना
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